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Showing posts from September, 2024

sat shri tandav rachayita lyrics

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sat shri tandav rachayita lyrics सत सृष्टि तांडव रचयिता |sat shri tandav rachayita lyrics Sat Shri Tandav Rachayita Lyrics Overview: “ Sat Shri Tandav Rachayita ” is a devotional hymn dedicated to Lord Shiva, celebrated as Nataraja, the divine dancer. This powerful piece extols the attributes of Lord Shiva, highlighting his cosmic dance and the profound energies he embodies. lyrics सत सृष्टि तांडव रचयिता नटराज राज नमो नमः । हे आद्य गुरु शंकर पिता नटराज राज नमो नमः ॥ गंभीर नाद मृदंगना धबके उरे ब्रह्माडना । नित होत नाद प्रचंडना नटराज राज नमो नमः ॥ शिर ज्ञान गंगा चंद्रमा चिद्ब्रह्म ज्योति ललाट मां । विषनाग माला कंठ मां नटराज राज नमो नमः ॥ तवशक्ति वामांगे स्थिता हे चंद्रिका अपराजिता । चहु वेद गाए संहिता नटराज राज नमोः ॥

Tum prem ho tum preet ho lyrics in hindi

Tum prem ho tum preet ho lyrics in hindi तुम प्रेम हो तुम प्रीत हो लिरिक्स हिंदी || Tum prem ho tum preet ho lyrics in hindi  अगर आपको  यह भजन अच्छा लगे तो सभी दोस्तों को जरुर से शेयर करें धन्यवाद!  लिरिक्स तुम प्रेम हो तुम प्रीत हो मन मीत हो मेरी राधे, तुम प्रेम हो तुम प्रीत हो मेरी बांसुरी का गीत हो, हु मैं यहाँ तुम हो वहा राधा, तुम बिन नही है कुछ यहाँ, मुझमे धडकती हो तुम्ही तुम दूर मुझसे हो कहा, तुम प्रेम हो तुम प्रीत हो  परमात्मा का स्पर्श हो, पुलकित हिर्ध्ये का हर्ष हो, तुम हो समपर्ण का शिखर, तुम ही मेरा उत्कर्श हो, तुम प्रेम हो तुम प्रीत हो  हु मैं यहाँ तुम हो वहा राधा, तुम बिन नही है कुछ यहाँ, मुझमे धडकती हो तुम्ही तुम दूर मुझसे हो कहा, तुम प्रेम हो तुम प्रीत हो . परमात्मा का स्पर्श हो, पुलकित हिर्ध्ये का हर्ष हो, तुम हो समपर्ण का शिखर, तुम ही मेरा उत्कर्श हो, तुम प्रेम हो तुम प्रीत हो 

Rādhā | राधा | Pandavaas | पण्डौ

Rādhā | राधा | Pandavaas | पण्डौ Rādhā | राधा | Pandavaas | पण्डौ पण्डौ बैण्ड :  ईशान डोभाल, अनिरुद्ध चन्दोला, सुशान्त भट्ट, गौरव राजपूत, दीपक नैथानी, राकेश रावत, श्रेष्ठ शाह, अंजलि खरे, शिवानी भागवत, राशि पन्त, राजदीप भट्ट  प्रतिलेखन : याशिका शर्मा   सुलेख : प्रदीप रावत   अतिरिक्त बाँसुरी : पङ्कज नाथ   बुढ़देवा स्वाङ्ग ग्राम : करोखी (ऊखीमठ, रुद्रप्रयाग)   बुढ़देवा स्वाङ्ग : प्रेम मोहन डोभाल   राधा-रुक्मणी स्वाङ्ग : संजना चौहान, आयशा घिल्डियाल  Lyrics :  काँधि मा धराली राधा , खैर की गँज्याल़ि राधा। मुण्ड मा धराली राधा , द्यो रिंगाल़ि सुपि राधा। काँधि मा धराली राधा, खैर की गँज्याल़ि राधा। मुण्ड मा धराली राधा, द्यो रिंगाल़ि सुपि राधा। रूम-जाँदि ठुम राधा, मैतुड़ैऽ मँज्युल़ि राधा। रूम-जाँदि ठुम राधा, मैतुड़ैऽ मँज्युल़ि राधा। हाथु मा ल्हिज्यैली राधा, बाबुलैऽ बुहारि राधा। हाथु मा ल्हिज्यैली राधा, बाबुलैऽ बुहारि राधा। काँधि मा धराली राधा, खैर की गँज्याल़ि राधा। मुण्ड मा धराली राधा, द्यो रिंगाल़ि सुपि राधा। स्या धारैऽ ओखल़ि राधा, धन...

Nagri Nagri Lyrics – Bibi Rajni | Jyoti Nooran

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Nagri Nagri Lyrics – Bibi Rajni | Jyoti Nooran Song Credits Song: Nagri Nagri Lyrics Singer: Jyoti Nooran Lyrics/Composer: Harmanjeet Singh Music: Avvy Sra Publicity Design: Impressive Design Studio Producer : Pinky Dhaliwal & Nitin Talwaar Label: Mad 4 Music lyrics मेरे मुरसद मेरे पीरा सब तेरी सौगात पावे सबनम पावे डंडे सब दी एक तो साथ हर दुखड़े माई सेह लुन रब जी भूखी प्यासी रह लुन रब जी तेरे बिना नहीं होना गुजरा तू ही मेरे अंबरा दा तारा नगरी नगरी माई ते घुमती तेरे कदम यु मैं चूमती तू ही मेरे अंबरा दा तारा तू सजन मैं बेदी सजनी मैं मिट्टी की पुतली रजनी पल पल तेनु ही पुकारा हाय तू मेरे अंबरा दा तारा तेरी पीड़ नू ताज बना के सर ते लेवा साजा लीपे बरसे बिजली चमके पिचे ना हटा सूद बड बावरी भुलावा तेरी ही बस आस दिखावा तेनु न पता किन्ना प्यारा नगरी नगरी माई ते घुमती तेरे कदम यु मैं चूमती तू ही मेरे अंबरा दा तारा तू सजन मैं बेदी सजनी मैं मिट्टी की पुतली रजनी पल पल तेनु ही पुकारा हाय तू मेरे अंबरा दा तारा सागर बीच समावन देली नदिया तरस दिया एक पल तेरा दीदार दिखा फिर सादिया तरस दिया चंदा छुपेया ...

mudakaratha modakam lyrics in hindi

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mudakaratha modakam lyrics in hindi सरल संस्कृत: श्री गणेश पंच रत्न स्तोत्र! mudakaratha modakam lyrics in hindi मुदाकरात्त मोदकं लिरिक्स इन हिंदी श्री गणेश पंच रत्न स्तोत्र संस्कृत:! मुदाकरात्तमोदकं सदा विमुक्तिसाधकं कलाधरावतंसकं विलासिलोकरक्षकम् । अनायकैकनायकं विनाशितेभदैत्यकं नताशुभाशुनाशकं नमामि तं विनायकम् ॥१॥ नतेतरातिभीकरं नवोदितार्कभास्वरं नमत्सुरारिनिर्जरं नताधिकापदुद्धरम् । सुरेश्वरं निधीश्वरं गजेश्वरं गणेश्वरं महेश्वरं तमाश्रये परात्परं निरन्तरम् ॥२॥ समस्तलोकशंकरं निरस्तदैत्यकुञ्जरं दरेतरोदरं वरं वरेभवक्त्रमक्षरम् । कृपाकरं क्षमाकरं मुदाकरं यशस्करं मनस्करं नमस्कृतां नमस्करोमि भास्वरम् ॥३॥ अकिंचनार्तिमार्जनं चिरन्तनोक्तिभाजनं पुरारिपूर्वनन्दनं सुरारिगर्वचर्वणम् । प्रपञ्चनाशभीषणं धनंजयादिभूषणम् कपोलदानवारणं भजे पुराणवारणम् ॥४॥ नितान्तकान्तदन्तकान्तिमन्तकान्तकात्मजं अचिन्त्यरूपमन्तहीनमन्तरायकृन्तनम् । हृदन्तरे निरन्तरं वसन्तमेव योगिनां तमेकदन्तमेव तं विचिन्तयामि सन्ततम् ॥५॥ महागणेशपञ्चरत्नमादरेण योऽन्वहं प्रजल्पति प्रभातके हृदि स्मरन् गणेश्वरम् । अरोगतामदोषतां सुसाहिती...