jai hanumant narci lyrics

Jai Hanumant Narci lyrics 

Song: Jai Hanumant 
Rap: Narci
Rap Lyrics: narci
singer: Ashwin Trivedi

About Song:  jai hanumant narci lyrics is a song in which the devotee is expressing his/her hearfelt feelings in front of hanuman ji. The devotee is praising hanuman  ji and also telling him about the sins of kaliyuga.we all know that hanuman ji is also a chiranjeevi (immortal) and hi is present even today in kaliyuga, hence the deeds of the people living in the world cannot be hidden froum him.

jai hanumant narci lyrics



ॐ हं हनुमते नम:
ॐ हं हनुमते नम:
ॐ हं हनुमते नम:
ॐ हं हनुमते नम:

जय हनुमंत संत हितकारी 
सुन लीजै प्रभु अरज हमारी 

जन के काज विलम्ब न कीजै 
आतुर दोरी महा सुख दीजे 

पाप करम की काली लंका 
राम दुलारे राख करो 

पार करो हे नाव दास की 
और मेरी तुम आँख करो 

बात करो हे सूत पवन के 
गर न कोई बात करे 

बन सहारा राम दूत हे 
आज दास के साथ धरो 

महावीर तुम देख रहे 
पाप पड़ा है धरती पर 

पश्चाताप का सोचे न 
यहाँ कोई भी गलती कर 

संकट मोचन हनुमान हे
बात मेरी बस इतनी है 

आप ही बोलो नारायण को 
कब आओगे कल्कि बन ?


जनकसुता पतिदास कहावो 
ताकि शपथ विलम्ब न लावो 

जय जय जय धुनी होत आकाशा
सुमिरत होत दुसह दुःख नाशा 

जय हनुमंत संत हितकारी 
सुन लीजै प्रभु अरज हमारी 

जन के काज विलम्ब न कीजै 
आतुर दोरी महा सुख दीजे 

कन्या मारे गर्भाशय में 
हत्यारों का सबको भय 

पैसा देखे सभकुच तय है 
पापों की है बनी सतेह 

काम वाशना में लिपटे 
नसे भरे हैं हर सर मैं

वीर मारुति देखो कैसे 
पाप चले हैं भर कर ये

थर थर कांपे धरा पाप से 
फिर भी तेरा नाम जपे 

दास हरी के क्योंकि उनको 
कष्टों मैं हो आप दिखे 

कली उन्हे भी खींचे
राम दुलारे शाम सुबह

पर तेरे भक्तों को 
रोज राम का नाम दिखे 

पूजा जप तप नेम अचारा
नही जानत हो दास तुम्हारा 

वन उपवन जल थल नभ माही 
तुम्हरे बल हम डरपत नाही 

तुम्हारी छाया में है हम
प्रभु आप से विनती अब 

असुर भरे जो काले यूग में 
करो सभी की गिनती कम 


देना हमको शीश यही 
पापी आये लाखो मे 

लाखों की गिनती में भी
करे धरम की वृद्धि हम 

तुम्हरी छाया में है हम 
प्रभु आपसे विनती अब 

असुर भरे जो काले युग मे 
करो सभी की गिनती कम 

देना हमको शीश यही 
बीते चाहे काल कई 

चारो ही युगों में 
राम नाम का लिखे कलम  

जय हनुमंत संत हितकारी 
सुन लीजै प्रभु अरज हमारी 

जन के काज विलम्ब न कीजै 
आतुर दोरी महा सुख दीजे 

मनोजवं मारुत्तुल्य्वेगम जितेन्द्रियं बुधिमातम वरिष्टम 
वातात्मजं वानारयुथमुख्यं श्रीरामदूतं शरणं प्रपद्ये 

जय श्री राम,जय श्री राम,जय श्री राम ,जय श्री राम  

जय हनुमंत संत हितकारी 
सुन लीजै प्रभु अरज हमारी 
जन के काज विलम्ब न कीजै 
आतुर दोरी महा सुख दीजे 

ॐ हं हनुमते नम:
 ॐ हं हनुमते नम:
 ॐ हं हनुमते नम:
 ॐ हं हनुमते नम:

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