Hari dhare mukut khele holi lyrics
Hari dhare mukut khele holi lyrics
Hari dhare mukut khele holi lyrics,
हरि धरे मुकुट खेले होली
lyrics
हरि धरे मुकुट खेले होली, सिर धरे मुकुट खेले होली-2
कौन शहर को कुँवर कन्हड्या, कौन शहर राधा गोरी हरि धरे..
मथुरा शहर को कँवर कन्हैया, बरसाने राधा गोरी,
हरि धरे मुकुट खेले होली, सिर धरे मुकुट खेले होली
कौन बरन को कँवर कन्हैया, कौन बरन राधा गोरी।
श्याम बरन के कुँवर कन्हैया, गौर बरन राधा गोरी,
हरि धरे मुकुट खेले होली, सिर धरे मुकुट खेले होली
कितने बरस के कुँवर कन्हैया, कितने बरस राधा गोरी,
सात बरस के कुँवर कन्हैया, बारह बरस की राधा गोरी.
हरि धरे मुकुट खेले होली, सिर धरे मुकुट खेले होली
काहे के दो खम्भ बने है, काहे की लागी डोरी,
अगर चन्दन को खम्भ बनो है, रेशम की लागी डोरी,
हरि धरे मुकुट खेले होली, सिर धरे मुकुट खेले होली
एक पर झूले कुँवर कन्हैया, दूजे पर राधा गोरी,
टूट गयो खम्भ लटक गई डोरी, रपट पड़ी राधा गोरी
हरि धरे मुकुट खेले होली, सिर धरे मुकुट खेले होली
जुड़ गयो खम्भ जुड़ाय गयी डोरी, हँसत चली राधा गोरी
हरि धरे मुकुट खेले होली, सिर धरे मुकुट खेले होली।
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