rang keshar ki pichkari bhari lyrics
Rang keshar ki pichkari bhari lyrics||रंग केशर की पिचकारी भरी
Rang keshar ki pichkari bhari lyrics
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lyrics
रंग केशर की पिचकारी भरी, रंग केशर की पिचकारी भरी
गज और ग्राह लड़े जल भीतर, लड़त-लड़त गज हारो हरी।
ओ हो लड़त-लड़त गज हारो हरी। रंग केशर की पिचकारी भरी
जौं भर सूँड रहे जल ऊपर,
तब गज नाम उचारो हरी। रंग केशर की पिचकारी भरी
दुर्योधन घर मेवा त्यागे,
साग विदुर घर खायो हरी।
ओ हो साग विदुर घर खायो हरी।। रंग केशर की पिचकारी भरी
भिलनी के बेर सुदामा के तंदुल,
रुचि-रुचि भोग लगायो हरी। रंग केशर की पिचकारी भरी
सिया जी के हाथ में सोने का कंगन,
गांठ की मर्म न पायो हरी। रंग केशर की पिचकारी भरी.
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