स्वस्ति वाचन मंत्र || swasti vachan mantra lyrics
स्वस्ति वाचन मंत्र ॐ स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवाः। स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः। स्वस्ति नस्तार्क्ष्यो अरिष्टनेमिः। स्वस्ति नो बृहस्पतिर्दधातु ॥ ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥ स्वस्ति वाचन मंत्र हिन्दी में भावार्थ: हे महान् कीर्ति वाले, ऐश्वर्यशाली देवराज इन्द्र हमारा कल्याण करें, जिसको संसार का विज्ञान और जिसका सब पदार्थों में स्मरण है, सबके पोषणकर्ता वे पूषा (सूर्य अथवा वैदिक देवता) हमारा कल्याण करें। जिनकी चक्रधारा के समान गति को कोई रोक नहीं सकता, वे गरुड़देव हमारा कल्याण करें। वेदवाणी के स्वामी बृहस्पति हमारा कल्याण करें। स्वस्तिक मंत्र शुभ और शांति के लिए प्रयुक्त होता है। स्वस्ति = सु + अस्ति = कल्याण हो। इससे हृदय और मन मिल जाते हैं। मंत्रोच्चार करते हुए दर्भ से जल के छींटे डाले जाते हैं. यह माना जाता है कि यह जल पारस्परिक क्रोध और वैमनस्य को शांत कर रहा है। स्वस्ति मन्त्र का पाठ करने की क्रिया ‘स्वस्तिवाचन’ कहलाती है। भद्र सूक्त-मांगलिक कार्य मे सर्व प्रथम शांति पाठ स्वस्त्ययन ॐ आ नो भद्राः क्रतवो यन्तु विश्वतोऽदब्धासो अपरीतास उद्भिदः । देवा नो यथा सदमिद् वृधे असन्नप्रायुवो र...